बिजेंटाइन विश्वदृष्टि के केंद्र में एक दार्शनिक चुनौती उभरती है, जो साधारण सौंदर्यात्मक अभिव्यक्ति की सीमाओं को पार करती है: भौतिक संसार को आध्यात्मिक प्रकटता के वाहन में कैसे बदला जा सकता है? मंदिर, एक वास्तु तत्व के रूप में जो दृश्य और अदृश्य, भौतिक और आध्यात्मिक के बीच मध्यस्थता करता है, मानव धार्मिकता के इतिहास में सबसे क्रांतिकारी कलात्मक समाधानों में से एक है। महान प्रार्थना, एक theological और चित्रण कार्यक्रम के रूप में, एक समाज की जटिलता को प्रकट करती है जिसने निरपेक्ष के साथ संवाद के पुल बनाने का प्रयास किया।
**संदर्भ**
बिजेंटाइन कला एक हजार से अधिक वर्षों तक फलीभूत हुई, जिसका केंद्र कॉन्स्टेंटिनोपल और मुख्य धारा ईसाई ऑर्थोडॉक्स चर्च था। यह धार्मिक चित्रों, भव्य चर्चों और शाश्वतता की भावना से पहचानी जाती है।
बिजेंटाइन कला की परिभाषा और मुख्य विशेषताएँ
बिजेंटाइन कला का विकास बिजेंटाइन साम्राज्य के संदर्भ में हुआ, जिसका केंद्र कॉन्स्टेंटिनोपल था, जो 330 ईस्वी से 1453 में पतन तक साम्राज्य की राजधानी रहा। यह एक हजार से अधिक वर्षों की अवधि को कवर करती है और निरंतरता और शाश्वतता की भावना से विशेषता रखती है।
**संदर्भ सूची**
बिजेंटाइन चित्र की सुनहरी वातावरण जो पुनरुत्थान की अदृश्य महिमा को दर्शाता है
19वीं सदी की रूसी बाइजेंटाइन छवि, माता मरियम का जन्म, लाल रंगों में



